Inspirational story in hindi#Motivational story in hindi# जैसा सोचेंगें, वैसा बनेंगे# ऐसी कहानी जो आपको बड़ा सोचने पर मजबूर कर दे

 जैसा सोचेंगे, वैसा बनेंगे



ज्यादातर लोगों का व्यवहार उलझन भरा होता है। क्या आपने कभी सोचा कि कोई आदमी एक महिला के लिए दरवाजा क्यों खोल देता है, जबकि दूसरी महिला के लिए नही खोलता ? कोई कर्मचारी एक सुपीरियर के आदेशों का फटाफट पालन क्यों करता है, जबकि दूसरे सुपीरियर के आदेशों का पालन मन मारकर करता है ? हम किसी आदमी की बात ध्यान से क्यों सुनते हैं, जबकि दूसरे आदमी की बात अनसुनी कर देते हैं? 


इसका कारण क्या है ? एक शब्द में इसका जवाब दिया जाए तो इसका कारण है : सोच । सोच के कारण ही ऐसा होता है। दूसरे लोग हममें वही देखते हैं, जो हम अपने आप में देखते हैं। हमें उसी तरह का व्यवहार मिलता है जिसमे काबिल हम खुद को समझते हैं। 


सोच के कारण ही सारा फर्क पड़ता है। वह आदमी जो खुद को हीन समझता है, चाहे उसकी क्षमताएँ कितनी ही क्यों न हों, वह हीन ही बना रहेगा। आप जैसा सोचते हैं, वैसा ही कार्य करते हैं । अगर कोई व्यक्ति अपने आपको हीन समझता है, तो वह उसी तरीके से कार्य करेगा। जो त्यक्ति यह महसूस करता है कि वह महत्वपूर्ण नहीं है, वह सचमुच महत्वपूर्ण नही होता।


दूसरी तरफ, जो व्यक्ति यह समझता है कि वह कोई कार्य कर सकता है, वह सचमुच उस कार्य को कर लेगा।


महत्वपूर्ण बनने के लिए आपकी सोच महत्वपूर्ण होनी चाहिए । वास्तव में अगर आप ऐसा सोचेंगे तो लोग भी आपके बारे मे सोचेंगे । 


आप जैसा सोचते हैं, वैसा कार्य करते हैं ।

और जैसा कार्य करते हैं, वैसा बन जाते हैं।

इसलिए महान बनने के लिए अपनी सोच महान रखें ।


क्या किसी ने कभी यह कल्पना की होगी कि इन्सान चाँद तक पहुँच जायेगा ? इन्सान अपनी इच्छा शक्ति से ही आज चाँद तक जा पहुंचा है । 


अपने आप को पहचाने, हम जैसे भी है अच्छे हैं। अपने आप की तुलना कभी भी किसी से ना करें । अगर हम सब समान होते तों ईश्वर हमें अलग अलग नही बनाता । अगर हम सब समान होते तो हो सकता है किसी क्षेत्र में बहुत ज्यादा विकास हो जाता और किसी क्षेत्र में बिल्कुल नगण्य विकास होता । ऐसी परिस्थिति में असंतुलन पैदा हो जाता जो समाज के विकास और उत्थान के लिए अभिषाप होता ।


अपने आप पर भरोसा रखें। लोगों के आलोचनाओं की चिन्ता ना करें। अगर आप कुछ बुरा करेगें तो आपकी आलोचना होना स्वाभाविक है लेकिन अगर आप कुछ अच्छा भी करेगें तो भी आपको आलोचनाओं का सामना करना ही पड़ेगा । दोनों ही स्थिति में आपकी आलोचना होना निश्चित है तो किस बात की चिन्ता करते हो। इस संदर्भ में मै यहाँ आपसे एक कहानी साझा करता हूँ : 


एक बार एक कलाकार एक खूबसूरत पेंटिंग बनाता है और वह उसे अपनी सबसे बेहतरीन पेंटिंग मानता है । लेकिन अपने एक मित्र के कहने पर वह उस पेंटिंग को एक चौराहे पर टाँग देता है और नीचे एक पेज चिपका देता है जिसमें लिखा होता है, अगर यह पेंटिंग बिल्कुल परफेक्ट है तो नीचे ' हाँ ' लिखे और अगर इसमें कुछ कमी हो तो ' ना ' लिखें। एक सप्ताह बाद वह कलाकार उस पेंटिंग को देखने जाता है ,तो पता चलता है कि ज्यादातर लोगों को उसकी पेंटिंग पसन्द नही आयी और वह मायूस हो जाता है और अपनी पेंटिंग और कमेंट वाले पेज को लेकर घर वापस लौट आता है। उसका मित्र उसके उदासी का कारण पूछता है, तो वह कलाकार अपनी सारी वृतांत बताता है । वह उसको समझाता है कि तुम अपने आप पर भरोसा रखो दूसरों की आलोचनाओं से मत घबराओ लेकिन उस कलाकार को यह सहज नही लगा और उदास मन से पूछा क्या मैं सचमुच इतना बुरा पेंटिंग बनाता हूँ? उसके मित्र ने जवाब दिया -नही ' तुम दुनिया के श्रेष्ठ कलाकारों में से एक हो । 


कलाकार - तुम मेरे मित्र हो इसलिए ऐसा कह रहे हो।

मित्र - नहीं, मै तुम्हारे मित्र होने के नाते ऐसा नही कह रहा तुम वाकई मे श्रेष्ठ कलाकार हो ।


कलाकार - तो लोगों को मेरी पेंटिंग पसन्द क्यू नही आयी ?

मित्र - लोगों का क्या वे तो हर चीज में कमियाँ ढूँढ़ते रहते हैं । आज लोग अपने आप में ही इतनी कमियाँ ढूँढ़ लेते है तो ये तो पेंटिंग है। इन्सान जैसा अपने बारे में सोचता है वैसा वह हो जाता है। और वह आलोचक बन जाता है। वह हर जगह आलोचना ही करता है। सुधारक बनने की कभी चेष्टा नही करता न तो खुद के लिए और ना ही दूसरों के लिए ।


कलाकार ने पूछा - लेकिन बाकी लोगों की पेंटिंग इतनी क्यू पसंद की जा रही है, उसी जगह पर एक दूसरे कलाकार की पेंटिंग थी जिसे लोगों ने 99% सही माना है।

मित्र - अपने आप को कभी भी किसी से तुलना मत करो तुम उनसे भी अच्छे कलाकार हो । अबकी बार तुम यही पेंटिंग हुबहु लगाना लेकिन नीचे पेज पर लिखना - अगर उपर लगे पेंटिंग में कोई त्रुटि नही है तो ' हाँ ' लिखे और अगर उपर लगे पेंटिंग में कोई त्रुटि है तो उसे सही करें।


एक सप्ताह बाद जब वह कलाकार फिर से देखने जाता है तो बहुत प्रसन्न होता है। इसबार 100% लोगों ने उसकी पेंटिंग सही मानी थी और अपने मित्र को सारी बाते बताता है। उसके मित्र ने कहा सिर्फ प्रश्न बदलने से ही लोगों का नजरिया बदल गया । सब चीजे वही हैं लेकिन लोगों का जवाब अलग है जो तुम्हारे पक्ष में है । तुम जैसे हो सबसे अच्छे हो, और यही अकाट्य सत्य है। खुद से प्रेम करो तभी आप औरो को प्रेम कर सकते हो ।

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

10 Important Geeta updesh / १० महत्वपूर्ण गीता उपदेश सुखी जीवन के लिए

खुश कैसे रहें || How to be happy

मोटिवेशनल स्टोरी:शिष्य जल्दी सफल होना चाहता था, गुरु ने कहा कि पहले बकरी को खूंटे से बांध दो, समस्या की जड़ को समझोगे तो मिलेगी सफलता